Posts

Showing posts from March, 2024

“कमरा”

Image
  वही छत, वही चार दीवारें, वही फ़र्श, वही किताबें, वही शांत से फ्रेम, वही खिड़कियां, वही दरवाज़ा, इन सब की आदी हो गयी हूँ पर जब लगता है कि मैं अब ऊबने लगी हूँ तो मैं कमरे की सफाई करने लग जाती हूँ| धूल की परत झाड़ते हुए मानो झड़ने लगता है ऊबना और सब कुछ अपरिचित सा मालूम पड़ता है| घर का यह कमरा मेरे हिस्से तब आया जब मुझे लगने लगा कि मेरा ख़ुदका एक कमरा होना चाहिए| कमरा मिला,कमरे को ख़ूब सजाया, अनगिनत सपने देखें और कमरे ने मुझे हँसता, रोता, खोता, टूटता देखा|  मैंने जब-जब खिड़की से झांकते हुए चाँद देखा,तब-तब मैंने कमरे में अपने भीतर की ख़ामोशी को घुलते पाया| यह कमरा ज़मीन का केवल एक मात्र टुकड़ा नहीं है इसका हर हिस्सा मानो किताब का पन्ना है जिसमें लिखा है मेरा अतीत और लिखा जा रहा है मेरा वर्तमान|  मैं जब भविष्य के बारे में सोचती हूँ तो विस्थापन का विचार मुझे अंदर तक झकझोर देता है| जीवन के दुःखों को साँझा करा था इस कमरे ने, इस कमरे का वियोग कौन साँझा करेगा?  किसी नए शहर में, किसी मकान में. नया-सा कमरा रहेगा जिसमें ज़रूर विस्थापन के अवशेष होंगे हालाँकि मेरी स्मृति में मेरा वह कमरा, मेरे पहले प्रेम जैसा र

“PAIN IS JOYFUL”

Image
The toe finger hurt by the edge, the fingers tucked in the middle of the door, the bruises over the knees, touching a hot utensil, the best friend became the best friend of someone else, not accompanied by parents to the market and not getting the toys might be the incidents which gave the very first sense of pain.  When we were children, we cried, we screamed to express the pain but as we age, pain is accompanied by silence. Nothing and no one is familiar about the ocean of pain we are drowning in. The people whom we loved, went away, and the fathomless pain they left behind. The absence feels lifeless. The goals we could not achieve became the nightmares. It keeps intimidating us for the rest of life, The living body has to go through different forms of pain throughout its life but it is not only one emotion over which we lose life. Initial classes taught us that pain is an uncountable noun because if we could measure it, the world would be facing, a new form of competition. How easy

"आख़िर में सब ठीक हो जायेगा"

Image
क ब आता है ये आख़िर या बस एक उम्मीद का नाम है 'आख़िर|' बड़े समय तक मुझे ऐसा लगता रहा कि किसी एक दिन के इंतज़ार में, हम ज़िंदा रहते है पर असल में उस दिन के इंतज़ार में हम थोड़ा-थोड़ा, हर दिन मरते जाते है| हम जन्म से लेकर मृत्यु तक बस एक इंतज़ार रूपी बस में सवार होकर सफर तय करते है| इंतज़ार, किसी व्यक्ति का कभी तो किसी मक़ाम का और कभी किसी चीज़ का भी नहीं| इंतज़ार मानो हमारी ज़िन्दगी का निचोड़ हो| कितना एकांत होता है इंतज़ार में रहना|  कॉलेज की सीढ़ियां चढ़ते हुए, इंतज़ार करना,आख़िरी बार सीढ़ियां उतरने के लिए और पांच साल का गुज़र जाना|  नौकरी का इंतज़ार करना, दफ़्तर से घर जाने का इंतज़ार करना, कॉल का इंतज़ार करना, पिता से तारीफ़ सुनने का इंतज़ार करना, माँ के खाने का इंतज़ार करना, अच्छे जीवन का इंतज़ार करना,सुकून का,अपनों के चले जाने के बाद उनके ग़म से उभरने का और कभी अपने आप का इंतज़ार करना| हम न चाहते हुए भी इंतज़ार में रहते है| इंतज़ार की सबसे बुरी बात यह है कि हम किसी से कभी इंतज़ार साँझा नहीं कर सकते, हमें हमेशा अपने कंधो पर इंतज़ार का बोझ ढोना होता है| इंतज़ार और साँस, दोनों का एक जैसा ही रिश्ता है कोई एक थमा त