एक लम्बी यात्रा के दौरान अलग-अलग शहरों में अलग-अलग बिस्तर पर रात गुज़ारने के बाद, शरीर को घर के बिस्तर की याद अपने आप आने लगती है| खिड़की से ऊनी पहाड़ साफ़ नज़र आ रहा है| बिस्तर पर कल रात का थका शरीर अब ऊर्जा से भर चुका है| यात्रा में होते हुए, पुरानी यात्रायें मेरे कुर्ते का एक छोर ज़ोर-ज़ोर से खींच रही हैं| मैं न चाहते हुए भी वर्तमान की यात्रा से अतीत की यात्राओं की यात्रा करने लग जाती हूँ| कितना कुछ है जिस पर मैंने अपना नियंत्रण बीते सालों में खो दिया है| बीते सालों की घटनाओं की खाई में गिरने से मुझे इन यात्राओं ने ही बचाया| सूरज की किरणों ने सुबह होने का अहसास लगातार कराया लेकिन उम्मीद की किरण ने आँखें थोड़ी देर से खुलवायी तब तक तो मैंने ना-उम्मीदी में भटकना भी शुरू कर दिया था| बहुत पहले किसी यात्रा का नाम सुन कर जी मतलाने लगता था अब बार-बार यात्राओं का साथ ले कर जी ठीक करती हूँ| समय के साथ कितनी सारी चीज़ों को लेकर मेरा विचार बदला, मैं बदली लेकिन घर को लेकर मेरा जुड़ाव और गहरा हुआ| गहराई का अंदाज़ा मुझे तब हुआ जब घर नहीं बचा| दीवारों से रिसता हुआ ख़ालीपन रह गया, घर गुज़र गया| सामा
"यथार्थ और कल्पना के बीच झूलते हुए शब्द"