तुम लौट आओगे, शायद!


 


रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, एयरपोर्ट वग़ैरा रहा होगा चश्मदीद गवाह, बिछड़ने की घड़ी का, हालाँकि वास्तव में अलग होने से पहले, कई दिन तक दो लोगों ने लगातार महसूस किया होगा, बिछड़ना| विरह, वियोग, हिज्र की तीव्रता को अपने-अपने हिसाब से भोगा होगा जैसे मैं आजतक भोग रही हूँ| 

तुम्हारा जाना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी पर मेरे जीवन की वह घटना थी जिसको मैंने कभी नहीं सोचा था|


(कुछ घटनायें यथार्थ के एकदम क़रीब होती है पर हम उसे अपनी कल्पना में भी अपने आसपास नहीं भटकने देते है|)


नियति ने तय किया होगा तुम्हारा जाना लेकिन मैं नियति में विश्वास नहीं रखती थी| मुझे लगता था चीज़ें हमारे अनुसार होती है हमारे भले के लिए| पर तुम्हारे जाने में मेरा क्या भला रहा होगा?



आज तुम्हें गए हुए सालों हो चुकें हैं पर तुम्हारी जाने की स्मृति इतनी ताज़ी हैं कि लगता है कल ही इस स्मृति ने जन्म लिया था|


(समय के साथ हम बूढ़े हो जाते है लेकिन कुछ स्मृतियाँ समय के साथ और जवान हो जाती है|)



तुम्हारे जाने के अतीत ने मेरे वर्तमान का आज भी हाथ पकड़ रखा है जैसे हम दोनों ने उस दिन एक दूसरे का हाथ पकड़ा था, विदा लेने से ठीक पहले तक| वह दिन हमारे कुछ सपनों को तोड़ कर आगे बढ़ गया था पर उस दिन ने मेरे और तुम्हारे, बहुत से सपनों को साकार करने की नींव रखी थी| तुम्हें जाते हुए देखना मानो कोई सपना था पर पलक झपकते ही पता चल गया था कि ये हमारा यथार्थ है, जिसे हमे आज या कल स्वीकार करना होगा| 


तुम्हें उस शाम को जाते हुए देखना और एक उम्मीद को मेरे पास चल कर आना कि एक दिन तुम लौट आओगे|


(किसी के जाने के बाद उस खाली जगह को भरने के लिए उम्मीद आ जाती है|)



इस समय जब मैं तुम्हारे जाने को देखती हूँ तो एक धुँधला अतीत नज़र आता है पर यह वही वर्तमान है जिसकी कभी भविष्य के रूप में हमने एक दूसरे से अलग होते हुए कल्पना की थी| हालाँकि उस अतीत की एक झूठी उम्मीद मुझे आज भी सच लगती है कि "तुम लौट आओगे, शायद!"






~आमना

Comments

  1. आज मिलना था बिछड़ जाने की नियत से हमे,
    आज भी वो देर से पहुंचा है,कितना तेज़ है।

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

"त्रासदी से संवाद"

"आख़िर में सब ठीक हो जायेगा"

"अकेलेपन से एकांत की ओर"