सूरज डूबने के साथ, थकान का चिन्ह लेकर, मकान की तरफ़ लौटते ही दीवार में जड़ी कील पर चाभी के साथ, दिनभर का थका मुखौटा टांगना उचित लगता है। मकान में बिना किसी मुखौटे के घूमना झूठा है क्यूंकि मकान की नींव ही मुखौटों के ईंटों से रखी गयी हैं| गाँव के घर की दीवारों पर कई कीलें जड़ी हुई थी| पिता किसी पर थैला टांगते तो किसी पर चाभी या कपड़े लेकिन अम्मा को केवल कैलेंडर टांगना अच्छा लगता था| तारीख़ का हिसाब मिलता रहता और महीने का हिसाब-किताब भी लिख लेती| हमें तो केवल लाल रंग से लिखी तारीख़ ख़ूब भाती थी| छुट्टियों का इंतज़ार बड़ी धूम-धाम से करते थे| शहर की ओर जब शरीर बढ़ाया और कंधे पर लदे सामान में सपने और आत्मा को ज़बरदस्ती लादा तब लगा कि घर छोड़ना वास्तविकता में मज़बूत लोगों की निशानी है| हालाँकि मैं तो कमज़ोर थी लेकिन जब घर छूटा, काया और आत्मा दोनों चट्टान की तरह मज़बूत हो गयी| (शहर के शुरुआती दौर में, शहर आपकी रीढ़ की हड्डी पर वार करता है| आपको इतना मज़बूत होना पड़ता है कि उसका वार आपको वार न लगकर, पीठ थपथपाना लगे| ऐसे वारों में टिक कर खड़े रह जाने के बाद शहर वास्तव में, पीठ थप...