साल के तीसरे महीने में प्रवेश होने वाला है — यह साल भी बड़ी तेज़ी से जा रहा है। एक लंबी यात्रा पर जाने का मन हो रहा है — घर और एकांत से दूर। वास्तव में, मन बहुत सी चीज़ें करने का हो रहा है— कुछ लोगों से मिलने का, कुछ बढ़िया खाने का, चिट्ठियां लिखने का, कुछ जगहों पर जाने का (बनारस, कलकत्ता या फिर इलाहाबाद), कुछ अच्छा लिखने का, कुछ अच्छा पढ़ने का, अच्छी तस्वीरें खींचने का, कुछ बढ़िया सुनने का और सबसे ज़्यादा, किसी लंबी यात्रा के चलते, उसमें खोने का।
किसी लंबी यात्रा पर निकलने का मन लगातार कर रहा है। जिसका आरंभ किस शहर से और अंत किस शहर में होगा, मैंने नहीं सोचा। कहीं समुद्र में उठती हुई लहरों का प्रवाह महसूस करना, या फिर किसी पहाड़ पर गिरती हुई धूप का एक हिस्सा चुराने के विचार मन में भूचाल मचा रहे हैं। किसी अनजान जगह से गुज़रते हुए वहां के घरों से झांकते एकांत को आँखों में क़ैद करना, और शाम की चाय के साथ परोसी गई किस्से-कहानियों का मज़ा लेना या फिर उस शहर की पुरानी इमारतों को तब तक देखना, जब तक वे अपना इतिहास खोलकर सामने न रख दें। अपने एकांत के लिए, एक शहर में भटकते हुए अपनी छोटी-छोटी यात्राओं की गाथा चिट्ठी के रूप में अपने घर के पते पर लिखकर, फिर भारतीय डाक के हवाले करने के बाद उस शहर से विदा लेना।मैं ऐसी ही किसी लंबी यात्रा की कल्पना कर रही हूँ|
लेकिन लंबी यात्रा करना अभी असंभव है, इसीलिए एक छोटी सी यात्रा— घर से कुछ दूरी पर तय करने के लिए निकल रही हूँ अपने एकांत के साथ, जिससे शायद मन लंबी यात्रा को बहुत देर के लिए स्थगित कर दे।
~आमना
Hope you had a सुखद छोटी यात्रा like this piece of music:
ReplyDeleteThe vocal piece in it somehow connects to earlier posts here:
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